Saturday, April 24, 2010

जाने कितने साल हो गए...

अब तो सुबह शाम रहते हैं
जबड़े कसे हुए
जाने कितने साल हो गए
खुल कर हँसे हुए
हर अच्छे मज़ाक की कोशिश
खाली जाती है
हँसी नाटकों में
पीछे से डाली जाती है

काँटे कुछ दिल से दिमाग़ तक
भीतर धँसे हुए
जाने कितने साल हो गए
खुल कर हँसे हुए

खा डाले खुदगर्ज़ी ने
गहरे याराने भी
आप आप कहते हैं अब तो
दोस्त पुराने भी

मेहमानों से लगते रिश्ते
घर में बसे हुए
जाने कितने साल हो गए
खुल कर हँसे हुए.

- अज्ञात.

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