Saturday, April 24, 2010

राग तेरी बांसुरी का बेसुरा हो जाएगा.

सोचता हूँ जब मेरा बेटा बड़ा हो जाएगा,
तो मेरी बैशाखियाँ, माँ की दवा हो जाएगा.

पेड़ यादों का यूँ ही बढ़ता क्या तो देखना,
इस सफर की धुप में कुछ आसरा हो जाएगा.

न्याये के दरबार मैं मुझको यहीं चिंता रही,
मैं अगर सच कह गया तो जाने क्या हो जाएगा.

सीख लूँगा मैं उसी से जिंदा रहने का हुनर,
जब कभी जिन्दगी से सामना हो जाएगा.

तेरे आने की उम्मीदों से साँस हैं,
गीत के बिन जखम दिल का फिर हरा हो जाएगा.

गोपियों को छोड़ देगा फिर कभी कान्हा तो सुन,
राग तेरी बांसुरी का बेसुरा हो जाएगा.

- अज्ञात.

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