Thursday, April 14, 2011

अब न कुच्छ मीठा रहा!

अब न कुछ मीठा रहा.

दोस्तों के शहर में, गुमशुदा जीता रहा,
हाथ में कुरान -बाइबल, ढूँढता गीता रहा!

इम्तिहान-ए-वक्त से, एक मैं, एक तू थे घायल,
तू अलग पीती रही, मैं अलग पीता रहा!

ऐसे बदले लोग, जंगल, वो गली और रास्ते,
आम चूसे, पान चाबे, अब न कुछ मीठा रहा!

दोस्तों के शहर में, गुमशुदा जीता रहा,
हाथ में कुरान -बाइबल, ढूँढता गीता रहा!

- Prash 'बुडबक' Trash. (प्रशांत)