सर्वोत्तम काव्य संकलन
एक प्रयास.
Friday, January 13, 2012
बरस पड़ी लू ...
कठिन. कर्कश. कैकय.
दंश जो भरा था मैंने,
निर्मम उस नगर में,
छीन कर जीने के लिए.
कुछ न शेष रहा.
कांटे कुम्हलाये ...
बरस पड़ी लू ...
सर्वस्व गया झूम.
जलती उस दुपहरी,
उड़ता दुपट्टा लिए,
चौराहे की भीड़ में,
जब मुझको मिली..
"तुम"
- प्रशांत.
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