सर्वोत्तम काव्य संकलन
एक प्रयास.
Sunday, May 3, 2020
गुमशुदा
वो अलग पीते रहे, मैं अलग पीता रहा
दोस्तोँ के शहर में, गुमशुदा जीता रहा
खेल कहके तूने जिसको आज तक फेंका उछाला
ज़िन्दगी थी वो मेरी, फटती रही, सीता रहा!
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)