सर्वोत्तम काव्य संकलन
एक प्रयास.
Saturday, April 24, 2010
याद.
खिड़की बन्द की
दरवाज़ा उलट दिया
रोशनदानों के कानों में
कपड़ा ठूँस दिया
कोई भी तो सूराख नहीं रहा
जिसे बन्द नहीं किया
फिर भी न जाने कब और कैसे
याद से घर भर गया।
- रति सक्सेना.
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