Friday, January 9, 2015

बेचैन

क़ब्र (१) से उठा
जाना क़ब्र तक बस
रास्ता दीखता सपट
मगर,
खुदा होने को
सांप बन गया
घूम घूम
लोटे फिरे
मुकुट लगा
मिट्टी का
अकड़े
रोये
कोसे
काटे
बेचैन

---
क़ब्र (१): माँ का पेट।


No comments:

Post a Comment